May 17, 2024

पंढरपूर की वारी में संविधान की पढाई

महाराष्ट्र में वारी (यात्रा) का एक अलग महत्व है. यह पंरपरा लगभग सात सौ साल से चली आ रही है. इसमें संतो के जन्म तथा कर्म स्थली से वारी निकलती है | और सोलापूर जिले के पंढरपूर में विठ्ठल मंदिर में आषाढी एकादशी के दिन पहूचकर पूरी होती | इस दरम्यान में जगह-जगह रूक कर भक्तीगीत, प्रवचन, समुह नृत्य का आकर्षक प्रदर्शन किया जाता है. इसमें टाल, मृदंग की धूनपर ‘जय हरी विठ्ठल’ का जयघोष होता है.
इस वारी में पिछले कूछ वर्षो से ‘संविधान दिंडी’ के तौरपर लोगों में संविधान के प्रति जागरूकता फौलाने का सामाजिक उपक्रम किया गया रहा है. इस वर्ष भी संविधान दिंडी का आयोजन किया गया. जिसके तहत सविंधान की प्रस्तावना का सामुहिक वाचन, संविधान मे निहित अधिकार, कर्तव्यों के बारे में बताया गया है. इसका का आयोजन महाराष्ट्र सरकार के समाजकल्याण विभाग के डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर रीसर्च ॲंड ट्रेनिंग इन्स्टि (बार्टी)टयूट की और से किया गया. इसमें जानेमाने लोकगायक संभाजी भगत जी ने जलसा प्रस्तूत किया. उन्होंने संत पंरपरा का महत्व तथा संविधान का महत्व गायन के माध्यम से लोगोतक पहुचाया. ज्येष्ठ फिल्मी कलाकार नसिरूद्दीन शाह, रत्ना पाठक जी ने दृकश्राव्य माध्यम से इस उपक्रम को शुभकामना संदेश भी दिया. बार्टी के महानिदेशक धम्मदीप गजभिये इस आयोजन के पिछे का कारण को स्पष्ट करते हुयें कहा, पंढरी की वारी यह ऐसी यात्रा हा जहा महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेंलगना, कर्नाटका, चेन्नई के राज्यों के आम लोग शामील होते है. ऐसे में संविधान का महत्व बताना और भी जरूरी हो जाता है, संविधान कि जानकारी आखरी व्यक्ती तक हो, यही बार्टी की ओर से प्रयास है. बार्टी के इस प्रयास को लोगो ने खासा पसंद किया. संविधान दिंडी को देकर लोगो के मन में अपने अध‍िकारो प्रति जानकारी लेने का जज्‍बा नजर आया, श्री गजभिये ने बताया.